अशोक चक्र-२००९(Ashok Chakras-2009)
इस वर्ष गणतन्त्र दिवस के अवसर पर १३ अशोक चक्र सम्मान दिये गए हैं, अप्रत्याशित- अभूतपूर्व! क्या इस गत वर्ष में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा इतने अधिक शौर्यपूर्ण कार्य किये जिन्हें पुरस्कृत करना आवश्यक था? क्या बीते वर्ष में भारतीय सशस्त्र बलों ने किसी प्रत्यक्ष युद्ध में शत्रुओं पर कोई निर्णायक विजय प्राप्त करने का अभूतपूर्व कार्य किया? कदाचित नहीं।
इस वर्ष घोषित किये गए अशोक चक्र प्राप्तकर्ताओं में एक दिल्ली पुलिस के अधिकारी श्री शर्मा हैं, जिन पर इसी सरकार के एक से अधिक वरिष्ठ मन्त्रियों द्वारा प्रश्नचिह्न लगाया गया जिसका मुखर समर्थन सरकार के समर्थक दलों के नेताओं द्वारा भी किया गया। अभी भी बठला हाउस, जामिया नगर में हुई मुठभेड़ पर प्रश्नचिह्न जस का तस है, वह भी सत्ताधारी दल व समर्थक दलों के नेताओं द्वारा लगाए गए आरोपों के कारण।
२६ नवम्बर का आतंकवादी आक्रमण पूरे भारत में एक ह्रदयविदारक घटना के रूप में सभी भारतीयों ने अनुभव किया। लगभग ३ दिन तक केवल १० जिहादियों द्वारा सम्पूर्ण भारतवर्ष को जड़ कर दिया जाना व इस अवधि में लगभग २०० लोगों का मृत्यु को प्राप्त करना वास्तव में उन जिहादी वीरों के ऐसे जिहादी शौर्य का प्रदर्शन था जिसके आधार पर इस्लामी दर्शन के अनुसार उनको शहीद कहना तर्कसंगत होगा व शहीद शब्द से न्याय। किन्तु भारतीय सुरक्षा बलों की असहायता इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु स्वयं ही प्रकट करती है। विशेषकर ATS मुम्बई के सर्वश्री हेमन्त करकरे, सालस्कर व काम्टे की हत्या के लिये जिहादियों की दक्षता की प्रशंसा ही की जा सकती है। भारत के लोग जिनके शौर्य का गणगान करते नहीं थकते, उन्हें कितनी सरलता व सहजता से वे जिहादी परलोक पहुंचा गए। अब ऐसे तीनों पुलिस अधिकारियों के लिये जिहादी शब्द शहीद का प्रयोग अथवा उनकी वीरता की चर्चा करना वीरता के उपहास जैसा है। और अब इनके लिए अशोक चक्र! वाह रे भारतीय शासन, बलिहारी हूं आप पर, आपके अनेकोम उपकारों में आपने एक और उपकार की वृद्धि की है जो आपके द्वारा इस अभागे राष्ट्र पर किए गए हैं।
किन्तु आप इतने सरल भी नहीं हैं। इन तीनों को अशोक चक्र देने का कारण निश्चित रूप से इनकी वीरता है, जो इनके द्वारा आपने हिन्दु राष्ट्रवादी साधु साध्वियों को आतंकवादी के रूप में घोषित करवा व उन्हें प्रताड़ित करवा कर दर्शाई है। इसी शौर्य के कारण ही तो दिया गया ये सम्मान।
उपरोक्त दोनों कृत्यों से आपने बठला हाउस घटना के विवाद के कारण लगे कलंक से मुक्ति पाने का प्रयास किया व दूसरी ओर एक सशक्त संदेश अपने जिहादियों को भी दे दिया कि आप भारत में होती आतंकवादी हिंसा को हिन्दु आतंकवाद मानते हैं व इसको समाप्त करने को संकल्पबद्ध हैं, जिहादी अपना जिहाद निश्चिन्त हो जारी रख सकते हैं।
डॉ. जय प्रकाश गुप्त, अम्बाला।
+९१-९३१५५१०४२५
Sunday, February 1, 2009
अशोक चक्र-२००९(Ashok Chakras-2009)
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